Search

क्यों मनाते है नवरात्रि-Why do you celebrate Navratri

Navratri story in Hindi : शक्ति उपासना का पर्व नवरात्रि क्यों मनाया जाता है और माँ दुर्गा की आराधना क्यों की जाती है; इसको लेकर दो कथाएँ प्रचलित हैं।

नवरात्रि की प्रथम कथा

443px Durga Devi

एक कथा के अनुसार लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण-वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और विधि के अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था भी करा दी। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व प्राप्त करने के लिए चंडी पाठ प्रारंभ कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्रदेव ने श्रीराम तक पहुँचवा दी।

इधर रावण ने मायावी तरीक़े से पूजास्थल पर हवन सामग्री में से एक नीलकमल ग़ायब करा दिया जिससे श्रीराम की पूजा बाधित हो जाए। श्रीराम का संकल्प टूटता नज़र आया। सभी में इस बात का भय व्याप्त हो गया कि कहीं माँ दुर्गा कुपित न हो जाएँ। तभी श्रीराम को याद आया कि उन्हें ..कमल-नयन नवकंज लोचन.. भी कहा जाता है तो क्यों न एक नेत्र को वह माँ की पूजा में समर्पित कर दें। श्रीराम ने जैसे ही तूणीर से अपने नेत्र को निकालना चाहा तभी माँ दुर्गा प्रकट हुईं और कहा कि वह पूजा से प्रसन्न हुईं और उन्होंने विजयश्री का आशीर्वाद दिया।

दूसरी तरफ़ रावण की पूजा के समय हनुमान जी ब्राह्मण बालक का रूप धरकर वहाँ पहुँच गए और पूजा कर रहे ब्राह्मणों से एक श्लोक ..जयादेवी..भूर्तिहरिणी.. में हरिणी के स्थान पर करिणी उच्चारित करा दिया। हरिणी का अर्थ होता है भक्त की पीड़ा हरने वाली और करिणी का अर्थ होता है पीड़ा देने वाली। इससे माँ दुर्गा रावण से नाराज़ हो गईं और रावण को श्राप दे दिया। रावण का सर्वनाश हो गया।

नवरात्रि की द्वितीय कथा

एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर को उसकी उपासना से ख़ुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर प्रदान कर दिया था। उस वरदान को पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक विस्तारित कर दिया। महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवतओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा।

देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। तब महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने माँ दुर्गा की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र माँ दुर्गा को समर्पित कर दिए थे जिससे वह बलवान हो गईं। नौ दिनों तक उनका महिषासुर से संग्राम चला था और अन्त में महिषासुर का वध करके माँ दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं।

वर्ष में दो बार नवरात्रि क्यों?

नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाने वाला इकलौता उत्सव है- एक नवरात्रि गर्मी की शुरुआत पर चैत्र में और दूसरा शीत की शुरुआत पर आश्विन माह में। गर्मी और जाड़े के मौसम में सौर-ऊर्जा हमें सबसे अधिक प्रभावित करती है। क्योंकि फसल पकने, वर्षा जल के लिए बादल संघनित होने, ठंड से राहत देने आदि जैसे जीवनोपयोगी कार्य इस दौरान संपन्न होते हैं। इसलिए पवित्र शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है। प्रकृति में बदलाव के कारण हमारे तन-मन और मस्तिष्क में भी बदलाव आते हैं। इसलिए शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए हम उपवास रखकर शक्ति की पूजा करते हैं। एक बार इसे सत्य और धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी बार इसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

CALLENDER
September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
FOLLOW & SUBSCRIBE