मृत्यु के पश्चात् श्राद्ध आदि क्रियाओं को पुत्र ही क्यों करे ?
पिता के वीर्य अंश से उत्पन्न पुत्र पिता के समान ही व्यवहार वाला होता है। हिन्दू धर्म में पुत्र का अर्थ है- ‘पु’ नाम नर्क से ‘त्र’ त्राण करना अर्थात् पिता को नरक से निकालकर उत्तम स्थान प्रदान करना ही ‘पुत्र’ का कर्म है।
After death, why should Shraadh etc. be performed by a son? |
यही कारण है कि पिता की समस्त औध्ध्व दैहिक क्रियाएं पुत्र उत्पन्न होती हैं। एक पुत्र’ तथा दूसरा ‘मूत्र’ यदि पिता के मरणोपरान्त पुत्र सारे अन्त्येष्टि संस्कार नहीं करता तो वह भी ‘मूत्र’ समान होता करता है। एक ही मार्ग से दो वस्तुएँ