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बाँध की रक्षा-Dam protection

बाँध की रक्षा

एक अंग्रेज अफसर एक जगह बाँध बधवाने आया। जिस दिन बाध के पूरा होने में एक दिन बच रहा था, उसी दिन गांव में बडे जोर की वर्षा आयी। अफ़सर ने देखा कि बॉँध टूट जायगा अधीर होकर उसने अपने एक हिंदू नौकर से उपाय पूछा । नौकर ने कहा-सरकार एक उपाय तो है । अफसर ने आतुरता से पूछा -‘बताओ फिर जल्दी नौकर-सरकार आप सच्चे मन से सामने वाले मन्दिर में जाकर प्रार्थना कीजिये, बाँध की रक्षा हो जायगी ! अफसर ने वैसे ही किया ।
Dam Protection Story

आधी रात तक वर्षा होती रही। अफसर का धेर्ये छूटने लगा। वह उसी समय बाँध को देखने चला गया । यहाँ जाकर उसने देखा-बाँध पर एक विचत्र प्रकाश फैला हुआ है। दो अन्यन्त सुन्दर तरुण-एक और गौर एक श्याम रंग का पुरुष तथा एक बड़ी ही मनोहर स्त्री, तीन व्यक्ति वहाँ खड़े है, जहाँ बाँध टूटने का भय हैं-इस प्रकार मानो बाँध की रक्षा कर रहे हों। और आश्चर्य है कि इतनी वर्षा होने पर भी पानी बाँध से दो अंगुल कम ही है । अफसर ने आदर एव उल्लास मे भरकर धुटने टेक दिए । वह मन्दिर सीता-राम-लष्मण का था,जीर्ण हो चल था । अफसर ने अपने वेतन के पैसे से उसका जीर्णोद्धार किया।

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