रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के सहाजानपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी प्रेमचंद था और वे एक वकील थे। रामप्रसाद की शिक्षा उनके गाँव में हुई, और वह विद्यालयी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने पिता के पास वकालत की शिक्षा लेने चले गए।
रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने जीवन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ निरंतर संघर्ष किया और अपने देश की आजादी के लिए अपनी जान की आहुति दी।
रामप्रसाद बिस्मिल ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख संगठन थी। उन्होंने अनेक क्रांतिकारी कार्यक्रमों में भाग लिया और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपनी प्राणों की आहुति दी।
रामप्रसाद बिस्मिल ने 1925 में दिल्ली में हिंदुस्तानी रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य शंकरलाल के साथ हीरासिंग बाजार में ब्रिटिश शासन के खिलाफ हमला किया, जिसमें उन्होंने अपनी वीरगति को प्राप्त किया।
रामप्रसाद बिस्मिल की साहित्यिक योग्यता भी उन्हें प्रसिद्धी दिलाई। उनकी कविताएं और गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं, और उनकी लगन, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है।