मनहूस या बुद्धिमान
एक बार एक राजा को यह समाचार मिला कि उनके राज्य में एक ऐसा भी व्यक्ति है, जिसके दर्शन मात्र से पूरे दिन आदमी को भूखा मरना पड़े। राजा ने उसकी परीक्षा लेने के लिए सुबह ही सुबह उस व्यक्ति के दर्शन किये। उस दिन राज्य के कार्यवश राजा को भोजन करने तक का समय न मिला सका।
राजा ने ऐसे व्यक्ति को फासी की सजा सुना दी। चूंकि फांसी वाले व्यक्ति की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है। अतः राजा ने जब उससे उसकी अंतिम इच्छा पूछी कि ‘ तुम क्या चाहते हो? ” अपराधी ने प्रार्थना भरे शब्दों में कहा–महाराज!
फासी वाले दिन प्रातःकाल मैं आपके चरण स्पर्श करना चाहता हूं। राजा ने कहा – ऐसा ही होगा। फांसी वाले दिन प्रातःकाल राजा चरण स्पर्श करवाने के लिए उसके पास चला गया।
जब फांसी देने का समय आया तो अपराधी ने कहा – महाराज। मैंने प्रातःकाल आपके दर्शन किये थे, तब भी मुझे फासी हो रही है। अत: अब आपको भी फासी की सजा दी जानी चाहिए। राजा यह सुनकर निरुत्तर हो गया और उसकी फासी की सजा माफ कर दी गई।