दातुन करने के लिए कौन सी वनस्पति श्रेष्ठ है।
आयुर्वेद के अनुसार गूलर, नीम, कीकर (बबूल), वज्रदंती आदि वृक्षों की टहनियों का दातुन करें। नीम एक ऐसा वृक्ष है जिसकी जड़, तना, पत्तिरयाँ, छालें आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। कुछ लोगों का मत है कि टूथपेस्ट और ब्रुश से दाँतों की जितनी अच्छी सफाई होती है उतनी अच्छी सफाई दातुन से संभव नहीं है।
Which Plant is Best For Tooth |
यह सत्य है कि ब्रुश दाँतों की अच्छी सफाई करता है। वह दाँतों के मैल को अपने में भर लेता है और दूषित हो जाता है। टूथपेस्ट के बचे अवशेष के साथ पायरिया के कीटाणु ब्रुश की तली में चिपके रहते हैं फिर अगले दिन ब्रुश करते समय वे कीटाणु दाँतों से चिपक जाते हैं। इस तरह टूथपेस्ट-ब्रुश से ज्यादातर पायरिया होने के अवसर रहते रने वालों को संभवत: प्रत्येक सप्ताह नया ब्रुश ले लेना अर्थात् एक सप्ताह से अधिक दिनों तक एक ब्रश प्रयोग में
बेर की दातुन से क्या लाभ है?
बेर की दातुन से दाँतों की सफाई तो होती है किन्तु जो व्यक्ति अपने गले में मधुरता लाने का इच्छुक हो वह नियमित रूप से बेर की दातुन प्रयोग करें।
अपामार्ग की दातुन के लाभ बतायें?
अपामार्ग की दातुन स्मरण शक्ति में वृद्ध्धि करती है और मुख की दुर्गध भी दूर भगातीं है।
नीम की दातुन क्यों करें?
नीम की दातुन से एक नहीं बल्कि अनेकों लाभ हैं। प्रथम तो दाँतों की सफाई होती है, दूसरा लाभ पायरिया जैसे रोगों में नीम की दातुन अति उत्तम औषधि है। नीम की दातुन का तीसरा अति प्रभावकारी लाभ यह है कि दातुन करते समय जो दातुन का रस पेट में चला जाता है तो आंत में होने वाली कीडियां (पिन कृमि) मर जाते हैं। इन कीडियों के कारण पेट में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं। जैसे – गैस की समस्या, अपच आदि। अत: नीम की दातुन बहुत ही लाभकारी है।
गूलर की दातुन के लाभ बतायें?
जिसकी जुबान लड़खड़ाती हो, बोलते समय हकलाता हो, जीभ में कालापन हो। ऐसे व्यक्तियों के लिए गुलर की दातुन फायदेमंद है।
आखिर क्यों ?