विलायती सती
धन्य सती विलायत की, धन्य यूरोपीय नार।
पति मरने के बाद फिर, करेँ और भरतार॥
भारत वर्ष से एक युवक आई०सी०एस० की परीक्षा पास करने के लिए विलायत गया। वहाँ जाकर उसने अपनी पढ़ाई प्रारम्भ कर दी। एक दिन वह युवक सैर करते हुए वहाँ के कब्रिस्तान में पहुँच गया। उसने वहाँ देखा कि एक यूरोपियन मेम एक कब्र पर बैठी हुई पंखा कर रही है। यह देखकर वह भारतीय नवयुवक बहुत प्रसन्न हुआ और उस मेम के पास जाकर बोला कि यह कब्र किसकी है?
उस मेम ने बताया कि यह कब्र उसके पति की है। उन्हें मरे हुए अभी केवल चार घंटे हुए हैं। यह सुनकर वह नवयुवक बोला तुम धन्य हो। तुम वास्तव में सच्ची पतिव्रता नारी हो। तुम एक पतिपरायण, पतिव्रता का परिचय दे रही हो। अब तक मैं यही सुनता आया था कि पतिव्रता नारी केवल हमारे भारत वर्ष में ही होती हैं। हमारे यहाँ पतिव्रता नारियाँ अपने पति की मृत्यु के पश्चात् सती हो जाया करती हैं।
उस नवयुवक की बात सुनकर वह अंग्रेज औरत क्रोध में भरकर बोली -चलो-चलो, बड़े आये पतिक्रत धर्म की
महिमा का बखान करने वाले। ये सड़ा हुआ रीति रिवाज तुम्हारे भारत को ही मुबारक हो।उस नवयुवक ने मेम से पूछा- फिर तुम अपने मृतक पति की कब्र पर पंखा क्यों झुला रही हो? वह बोली- जब मेरा पति अंतिम सांसे ले रहा था, तब उसने मुझ से पूछा था | कि मेरे मरने के पश्चात् क्या दूसरा पति चुनोगी? मैंने उन्हें हाँ में उत्तर दिया था।
इस पर उसने कहा था कि मेरी एक नसीहत है कि जब तक मेरी कब्न की मिट्टी गीली रहे तब तक तुम दूसरा पति मत चुनना। मेरा हाथ में पंखा लेकर इस कब्र पर पंखा करने का मतलब यह है कि कब्र की मिट्टी शीघ्र सूख जाये ताकि मैं अपने लिए दूसरा पति चुन सकूँ। उस मेम के मुँह से यह सुनते ही वह नवयुवक अपना सा मुँह लेकर वहाँ से चल पड़ा।
मित्रों यही दशा आजकल हमारे भारतवर्ष की फैशन परस्त उच्छंखल नारियों की भी हो रही है। यदि इस पर शीघ्र अंकुश न लगाया गया तो हिन्दू जाति का पतन होने में देर नहीं लगेगी।