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तुंही-२ याद मोहे आवै रे दर्द में – कबीर के 10 दोहे

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Kabir ke Shabd

तुंही-२ याद मोहे आवै रे दर्द में।।
लख चौरासी भटकत भटकत,
मार पड़े भग जावै रे दर्द में।।
सुख सम्पत्ति का सब कोय साथी
दुःख में निकट नहीं आवै रे दर्द में।।
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीलो,
भीड़ पड़ी भग जावै रे दर्द में।।
शाह हुसैन फकीर साईं का,
हर्ष निरख गुण गावै रे दर्द में।।
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