कर के देखिए, तीन प्रार्थनाएं जो आपके जीवन को बदल सकती है
समाज में समय-समय पर अनेक-अनेक लोग मिलते रहते हैं, उनकी अलग-अलग तरह की पीड़ाएं, समस्याएं सामने आती हैं। उनके वचन सुनने से पता लगता है कि आधुनिनिकता के इस युग में चिन्ता, भय, निराशा, हताशा, छल-कपट इतना बढ़ गया है कि व्यक्ति अन्दर से खोखला हो गया है।
हमने अनुभव किए हैं कि ज्यादातर लोग खुद से दुःखी हैं, अधिकांशतया कहते हैं कि मैं दुःखी हूं, परेशान हूं, असहाय हूं, मैं ही ऐसा क्यों हूं? कुछ कहेंगे, जिन्दगी से ऊब चुका हूं, थक चुका हूं, लगता है मेरी किसी को जरूरत ही नहीं, मेरे जीवन का कोई मकसद नहीं।
कुछ लोग हालात के मारे हैं और कुछ स्वयं ऐसे हालात तैयार करते हैं और फिर लाचारी में जीते हैं, सामने की चापलूसी और पीछे राजनीति से तंग आ चुके हैं लोग।
इंसान की जिन्दगी में कितने ही उतार चढ़ाव आते हैं, कितनी परीक्षाएं पास करके सफलताएं पाई, जमीन जायदाद बनाई, कारोबार जमाया, ऊपर से आदमी खुशहाल दिखाई देता है, लोग खुशी का नाटक भी करते हैं, मगर दूसरी तरफ इंसान की जिन्दगी में चैन नहीं, नींद चली गई, स्वास्थ्य खराब हो गया, वह टूटा हुआ जीवन जी रहा है।
अंदर दीमक लगी हुई है, यही दीमक जो भय-निराशा-पीड़ा बनकर सबके अन्दर लगी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम केवल जीवन के साधन जुटाने में लगे हैं, अन्दर लगी हुई दीमक का इलाज नही ढूंढ़ते।
संसार की यह भय-कुंठा हमारी मुस्कुराहट, उमंगों को छीन लेती है, हमारे जीवन का बसंत छिन गया। थोड़ी-सी मुस्कुराहट उस समय जरूर आती है, जब बिजनेस में कुछ पैसा आ जाए, वरना सिर पकड़ कर बैठे रहते हैं लोग। व्यक्ति अन्दर से खोखला रहता है। जीने की कला सीख कर जीवन जीना शुरु करें तो जीवन बदलता है।
दुनिया में जीना सीखिए, अंदाज बदलिए अपना, एक ऐसा व्यक्ति जिसको अपने जीवन का अन्त समय दिखाई दे रहा था, वह 40-50 साल और जी गया है। लेकिन जिसके अंदर दीमक लग जाए तो 2-3 साल से ज्यादा नहीं जी सकता। अपने अंदर की समस्या को समझें।
स्कूल कॉलेज की परीक्षाएं पास की, बड़ी-बड़ी समस्याओं से भी आप जूझे हैं, अब थोड़ा-सा प्रयास करने की जरूरत है। दुःखों से बचने की विधि सीखिए, ये प्रार्थना आपको सुकून देगी, तीन तरह के दुःख-संताप दुनिया में हैं और केवल तीन वाक्य अपनी प्रार्थना में शामिल कीजिए, तथा उन्हीं के अनुसार आचरण कीजिए चमत्कार हो जाएगा।
हे ईश्वर मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं उन चीजों को अपने जीवन में स्वीकार कर सकूं, जिन्हें मैं बदल नहीं सकता।उन चीजों को बदलने का साहस मुझे दो, जिनको मैं बदल सकता हूं।उन दोनों चीजों की समझने को बुद्घि भी दो कि कौन-सी बदल सकता हूं और कौन सी नहीं बदल सकता।यह प्रार्थना सुख की संजीवन औषधि के समान है। लेकिन कोई भी औषधि तभी असर दिखाती है जब आप परहेज करें। क्योंकि कोई रोगी पूरी तरह से जब परहेज करता है तो उसे दवाई ज्यादा लाभ देती है।
दुःखों से बचने के लिए प्रार्थना के ये भाव बहुत लाभकारी हैं, इनके भावों को समझें और पुरुषार्थ करें, परिश्रम करें, इसके साथ-साथ यह ध्यान रखें कि हमारी आदतें कैसी हैं, अपनी आदतों को अच्छा बनाएं, खोखला करने वाली दीमक से बचकर रहें, बेवजह चिन्ता, भय, निराशा, अवसाद में क्यों जीते हो।
अपने अन्दर प्रेम, प्रसन्नता, उत्साह को जीवित रखें, नियमित और अनुशासित रहें, समय की कीमत को समझें, काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या पर काबू पाएं, सुख-आनन्द आने लगेगा।