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सच्ची मदद नन्हे परिंदे की प्रेरक कहानी हिंदी में

सच्ची मदद

एक नन्हा परिंदा अपने परिवार जनों से बिछड़ गया। बिछड़ कर अपने आशियाने  से बहुत दूर आ गया था । उस नन्हे परिंदे को अभी उड़ान भरना अच्छे से नहीं आता था। उसने उड़ना सीखना अभी शुरू ही किया था ! इधर नन्हे परिंदे के परिवार वाले बहुत परेशान थे। और उसके आने की राह देख रहे थे।
इधर नन्हा परिंदा भी समझ नहीं पा रहा था कि वह अपने आशियाने तक कैसे पहुंचे? वह उड़ान भरने की काफी कोशिश कर रहा था पर बार-बार कुछ ऊपर उठकर गिर जाता। कुछ दूर से एक अनजान परिंदा अपने मित्र के साथ ये सब बड़े गौर से देख रहा था।
कुछ देर देखने के बाद वह दोनों परिंदे उस नन्हें परिंदे के करीब आ पहुंचे। नन्हा परिंदा उन्हें देख के पहले घबरा गया फिर उसने सोचा शायद ये उसकी मदद करें और घर तक पहुंचा दें । अनजान परिंदा-क्या हुआ नन्हे परिन्दे काफी परेशान हो?
नन्हा परिंदा- मैं रास्ता भटक गया हूं और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है। मुझे उड़ान भरना अभी अच्छे से नहीं आता। मेरे घर वाले बहुत परेशान हो रहे होंगे। आप मुझे उड़ान भरना सिखा सकते हैं? मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूं पर कामयाबी नहीं मिल रही है।
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अनजान परिंदा – (थोड़ी देर सोचने के बाद) जब उड़ान भरना सीखा नहीं तो इतना दूर निकलने की क्या जरूरत थी? वह अपने मित्र के साथ मिलकर नन्हे परिंदे का मजाक उड़ाने लगा उन लोगों की बातों से नंन्हा परिंदा बहुत क्रोधित हो रहा था।
अनजान परिंदा हंसते हुए बोला- देखो हम तो उड़ान भरना जानते हैं और अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकते हैं। इतना कहकर अनजान परिंदे ने उसके सामने पहली उड़ान भरी। वह फिर थोड़ी देर बाद लौटकर आया और 2-4 कड़वी बातें बोल उड़ गया। ऐसा उसने 5-6 बार किया और जब इस बार वो उड़ान भर के वापस आया तो नन्हा परिंदा वहां नहीं था ।
अनजान परिंदा अपने मित्र से-नन्हें परिंदे  नें उडान भरली ना? उस समय अनजान परिंदे ने चेहरे पर खुशी झलक रही थी । मित्र परिंदा – हां नन्हें परिंदे ने तो उड़ान भर ली लेकिन तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो मित्र ? तुमने तो नन्हें परिंदे का कितना मजाक बनाया।
अनजान परिंदा- मित्र तुमने मेरी सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया। लेकिन नन्हा परिंदा मेंरी नकारात्मकता पर कम और सकारात्मक पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। इसका मतलब यह है कि उसने मेरे मज़ाक को अनदेखा करते हुए मेंरी उड़ान भरने वाली चाल पर ज्यादा ध्यान दिया और वह उड़ान भरने में सफल हुआ।
मित्र परिंदा- जब तुम्हें उसे उड़ान भरना सीखाना ही था तो उसका मजाक बनाकर क्यों सिखाया? अनजान परिंदा- मित्र, नन्हा परिंदा अपने जीवन की पहली उड़ान भर रहा था और मैं उसके लिए अजनबी था। अगर मैं उसको सीधे तरीके से उड़ना सिखाता तो वह पूरी जिंदगी मेरे एहसान के नीचे दबा रहता
और आगे भी शायद ज्यादा कोशिश खुद से नहीं करता। मैंने उस परिंदे के अंदर छिपी लगन देखी थी जब उसको कोशिश करते हुए देखा था तभी समझ गया था उसे बस थोड़ी सी दिशा देने की जरूरत है और जो मैंने अनजाने में उसे दी और वो अपनी मंजिल को पाने में कामयाब हुआ।
अब वो पूरी जिंदगी खुद से कोशिश करेगा और दूसरों से कम मदद मांगेगा इसी के साथ उसके अंदर आत्मविश्वास भी ज्यादा बढ़ेगा। मित्र परिंदे अनजान परिंदे की तारीफ करते हुए बोला, तुम बहुत महान हो जिस तरह से तुमने उस नन्हें परिंदे की मदद की वही सच्ची मदद है।
शिक्षा-
सच्ची मदद वही है जो मदद पाने वाले को यह महसूस ना होने दे, कि उसकी मदद की गई है। बहुत बार लोग हेल्प तो करते हैं, पर उसका ढिंढोरा पीटने से नहीं चूकते ऐसी मदद किस काम की!
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