सबसे बढ़कर आत्म बल है
एक बार एक भक्त को कथा द्वारा पता चला कि गणेशजी की पूजा पहले करनी चाहिए । जब वह पूजा कर रहा था तो गणोशजी के भोग में से एक चूहे को मिठाई ले जाते देखकर भक्त ने विचार किया व्छि गणेश जी से तो चूहा ही बलवान है ॥ अत: पहले चूहे की पूजा की जानी चाहिए।
ऐसा विचार कर वह चूहे को बॉध कर उसकी पूजा करने लगा । एक दिन चूहे ने बिल्ली को देखा तो वह भाग गया। भक्त ने सोचा बिल्ली चूहे से अधिक शक्तिशाली है। मुझे इसी की पूजा करनी चाहिए। अब उसने बिल्ली की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी एक कुत्ते से बिल्ली डर कर भाग गई। त्तब भक्त ने कुत्ते की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी।
कुत्ता रोटी के लिए रसोई में घुस गया तो भक्त की पत्नी ने उसे सरल पीटा। अब भक्त ने सबसे अधिक शक्षिशाली अपनी पत्नी को समझा और उसकी पूजा करने लगा ॥ एक दिन उसने सब्जी ठीक नहीं बनाई । इस कारण उसने ह्रोधित होकर अपनी पत्नी को खूब पीटा + उसे ज्ञात हुआ कव्कछि पत्नी से अधिक तो में स्वयं शक्षिशाली हूँ । तब ऊसने अपनी आत्सा की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी । इससे ऊसकी मुक्ति हो गई