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बातों में व्यापारी – समझदारी की कहानी

बातों में व्यापारी

एक बुद्धिमान व्यक्ति बातें बेचने का व्यापार करता था। एक दिन एक वैश्य के पुत्र ने उससे कहा कि मुझे बीस  रुपये मूल्य की एक बात बता दो।” बुद्धिमान व्यक्ति ने वैश्य के पुत्र को बताया” जहाँ  दो व्यक्तियों में झगड़ा हो रहा हो तो वहाँ खड़ा होना नहीं चाहिए।

जब वह वैश्य पुत्र अपने घर गया तो उसके पिता ने उससे पूछा रुपये कहाँ है  इस पर बेटे ने सब बात बता दी। पिता यह सुनकर क्रोधित हो गया और उस बुद्धिमान व्यक्ति से रुपया लेने गया। उस बुद्धिमान व्यक्ति ने उस वैश्य से कहा यदि जीवन भर तुम मेरी बात पर अम्ल करो तो मैं तुम्हारे रूपये वापिस कर सकता हूँ। वैश्य ने उसकी बात मानकर अपने रुपये वापिस ले लिए। एक दिन मंत्री और राजा दोनों के बेटों में जंगल में खेलते  खेलते झगड़ा हो गया।

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वैश्य का बेटा उसे देख रहा था। शिकायत राजा के पास गई। राजा बड़ा न्याय कारी था।  राजा ने बताया कि जो भी लड़का दोषी पाया जायेगा उसे दण्ड दिया जायेगा। राजा ने उन दोनों लड़कों से पूछा कि तुम्हारे अतिरिक्त वहाँ और भी कोई तीसरा व्यक्ति था। दोनों लड़कों ने बताया वैश्य का लड़का वहाँ था। राजा के लड़के ने वैश्य के लड़के को बुलाकर कहा
 तुम्हें मेरी गवाही देनी होगी नहीं तो तुम्हें मरवा दिया जायेगा। मंत्री के बेटे ने भी यही बात वैश्य को बुलाकर कही। वैश्य के बेटे ने अपने पिता को गवाही का हाल सुनाया तथा बोला कि 20 रुपये के पीछे तुमने मेरी जान ले ली। अब तो वैश्य उस बुद्धिमान के पास इसका उपाय पूछने गया। उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा कि सौ रुपये दो तो मैं तुम्हें उपाय बता सकता हूँ।
वैश्य ने उसे सौ रूपये फौरन पकड़ा दिये तब उस  ने कहा कि जब गवाही का समय आये तो तुम्हारा बेटा नंगा हो जाये और कपड़े फाड़ने लगे तथा नाचने लगे। अन्त में लड़के ने वैसा ही किया। राजा ने उसे पागल समझकर दरबार से निकाल दिया।
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