Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
ठगनी क्यों नैना झमकावे,तेरे हाथ कबीर ना आवे
कद्दू काट मृदंग बनाया ,निम्बू काट मंजीरा
पांच तरोई मंगल गावें,नाचे बालम खीरा
रूपा पहर के रूप दिखावे सोना पहर तरसाए
घाल गले तुलसी की माला,तीन लोक भरमावै
घाल गले तुलसी की माला,तीन लोक भरमावै
भैंस पद्मनी आशिक़ चूहा,मिंडक ताल लगावे
छपर चढ़ के नाचे गदहिया ऊँट विष्ण पद गावे
छपर चढ़ के नाचे गदहिया ऊँट विष्ण पद गावे
अम्ब कि डाली पे कछुआ चढ़े,गिलहरी चुन-2 लावे
कह कबीर सुनो भाई साधो ,बगुला भोग लगावे
कह कबीर सुनो भाई साधो ,बगुला भोग लगावे