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तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना – teri meharbani ka hai bhojh itna – kabir ke shabd

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 


कबीर के शब्द

तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
इसे मैं उठाने के काबिल नहीं हूं।।

मैं आ तो गया हूँ, मगर जानता हूँ,
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हूं।।

ये माना कि दाता हो तुम कुल जहां के।
मगर कैसे झोली फैलाऊं मैं आ के।
जो पहले दिया है, वो कुछ कम नहीं है,
उसी को निभाने के काबिल नहीं हूं।।

तुम्ही ने अदा की, मुझे जिंदगानी,
तेरी महिमा मैने, फिर भी न जानी।
कर्जदार तेरी दया का हूँ इतना,
ये कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूं।।

यही मांगता हूं, मैं सिर को झुका लूं।
तेरा दीद इस बार जी भर के पा लूं।
शिवाय दिल के टुकड़े के ए मेरे दाता,
मैं कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हूं।।
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