Kabir ke Shabd
तेरा जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में।।
बड़े भाग से नर तन पाया, इसमें भी हरि गुण नहीं गाया।
किया ना पृभु से प्यार।।
माया ने तुझको बहकाया, संग चले ना तेरी काया।
क्यूँ बनता हुशियार।।
धन दौलत ओर माल खजाने, जिनको मूर्ख अपना माने।
जाएगा हाथ पसार।।
क्या लेकर तूँ आया जग में, क्या लेकर जाएगा संग में।
रे मतिमंद गंवार।।
जब यमदूत लेन ने आवैं, रो रो करके तूँ चिल्लावै।
पड़े करारी मार।।
श्री सतगुरु की शरण में आओ, अपना जीवन सफल बनाओ।
तब होवै उद्धार।।