Kabir Ke Shabd
तन्ने हीरा सा जन्म गवाया भजन बिना बावले
कदे ना आया संत शरण में,कदे ना हरी गुण गाया
बह-2 मरा बैल की तरियां सांझे रे सोया उठ खाया
यो संसार हाट बनिये की,सब जग सौदा लाया
चातर माल चौगना कीन्हा,मुर्ख मूल गवाया
यो संसार पेड़ सम्भल का,सुआ देख लुभाया
मारी चौंच रूई निकलाई मुंडी धुनि पछताया
यो संसार माया का लोभी ममता महल चिनाया
कह कबीर सुनो भाई साधो हाथ कछु नहीं आया