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कथा -:गुलाब की खुशबू || Story-: The fragrance of rose ||

*कथा -:गुलाब की खुशबू*

*दूसरों की दुर्गंध अपने में मत आने देना…*

*अपनी सुगंध फैलाते रहना….।*

गुरुदेव ने अपने शिष्य को गुलाब दिखाते हुए पूछा , “बेटा यह क्या है?”
उसने तुरंत जवाब दिया, ” *गुलाब* ।”

गुरुदेव ने कहा, ” यह ले जा किसी दुकान में घी के डब्बे पर रख, गुड़ के थैले पर रख , शक्कर की बोरी पर रख, तिल के थैले पर रख, दुकान की सारी वस्तुओं पर रख। फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आएगी? “

gulab

शिष्य तपाक से बोला , “खुशबू तो गुलाब की ही आएगी ।”

गुरुदेव ने फिर पूछा, ” गंदी नाली के आगे रख, फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आएगी ? “

जवाब वही रहा , ” गुलाब की ही। ”

फिर गुरुदेव बोले, ” बस, ऐसा ही तू बन जाना ।
*दूसरों की दुर्गंध अपने में मत आने देना…*

*अपनी सुगंध फैलाते रहना….। “*
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