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souda kar chalo re tera janam behuna nuye jaye

kabir

Kabir ke Shabd

सौदा कर चालो रे तेरा, जन्म बेहुना न्यू ऐ जाए।।
काया नगर में पीठ लदी है
प्रेम विष्यहीन कर चालो रे।।
उठ जागी पीठ सौदा हाथ न आवै।
मन की या मन में रह जाए रे।।
तन कर कुंडी सूरत का साबुन,
दिल की काई ने धो चालो रे।।
कथगी कमाली कबीरा थारी बाली,
शब्द किनारे लग चालो रे।।
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