कबीर भजन काया कल्प
सौदा करे सो जाने काया गढ़े खूब बाजार। टेक
या काया में साट लगाते बैठे साहूकार,
या काया में चोर फिरत हैं लूच्चा ढीट लबार
या काया में लाल जवाहिर रत्नों की खान अपार,
या काया बेद पाठि करि पण्डित करे विचार।
या काया काजी मुल्ला देबे बान पुकार,
या काया में धनी विराज तिनका ओठ पहार,
कहै कबीर सुनो भाई साधो गुरु बिन जग अंधियार