मौन चिकित्सा – मौन के लाभ
एक पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए अगर कोई चाबी है तो वो है मौन! चाहे वो जीवन का पूर्ण रूप से अनुभव की बात हो यां परम मुक्ति यां खुशी! अपनी दृष्टी, भावनाओं, इच्छाओं और विचारों को एक सही दृष्टिकोण से देखने के लिए मौन एक उत्तम साधन है| स्वयं को जानने और अनुभव करने के लिए मौन एक खूबसूरत माध्यम है|
मौन से भय
आज के तेज़ गति से भागते युग में शायद ही कहीं पूर्ण मौन हो| लोग मौन से भागते से नज़र आते हैं और मौन से डरते भी प्रतीत होते हैं| प्रष्ठभूमि में कोई ना कोई आवाज़ बनी रहती है चाहे वो टेलीविज़न की हो यां फिर ट्रैफिक की| हम में से कुछ के लिए मौन में रहना तो बहुत कठिन है क्योंकि हमारी सही पहचान सामने आ जाती है| हम अक्सर कोई रोल यां भूमिका निभा रह होते हैं और अपनी असल पहचान यां हम असल में है कौन से शर्मिन्दा होते हैं| हम अपने में शांत नहीं होते और इसलिए अपने मन को किसी ना किसी तरह व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं ताकि हमें सोचना ना पड़े हम हैं कौन!
वाणी: हमारी ऊर्जा का सबसे बड़ा उपभोक्ता
जब हम बोलते हैं तो हम कई गुना अधिक ऑक्सीज़न उपयोग करते हैं| अधिक बात करने से हम ऊर्जा की खपत महसूस करते हैं, मन ज़रूरत से ज़्यादा गरम हो जाता है और हमारी प्रतिक्रया पर भी उसका प्रभाव पड़ता है| हम गुस्सा करते हैं और अपना संयम खो देते हैं| एक शांत मन से क्रिया नहीं कर पाते| ऐसे लोगों को अधिक सुनना जो अधिक बात करते हैं भी हमारी ऊर्जा क्षति का कारण बन जाता है|
मौन में वार्ता
शब्दों के इस्तेमाल के बिना भी हम बहुत तरीकों से वार्ता कर सकते हैं | स्वामी जी मानते हैं की जब दो लोग मिलते हैं तो दूसरे स्तर पर बातचीत सम्भव है क्योंकि बातचीत केवल शब्दों के माध्यम से नहीं होती| जब दो आंखे मिलती हैं तभी भी बातचीत होती है| यह तो हमेशा होती रहती है| शब्द तो हमारी वास्तविक भावना को कुछ अधूरा ही स्पष्ट कर सकते हैं| भावनाओं की पूर्ण अभिव्यक्ति शब्दों के माध्यम से हो ही नहीं सकती|
स्वामी बालेन्दु द्वारा मौन और प्रेम का अभ्यास
स्वामी जी बहुत युवा अवस्था से ही मौन में समय गुजारते रहे हैं| १९९७ में गुफा में लगभग ३१/२ साल मौन में बिताने से पहले स्वामी जी साल में लगभग तीन महीने जंगल में अकेले मौन में बिताया करते थे| अकेले में ही नहीं बल्कि स्वामी जी भीड़ में भी अपने में मौन में रहते हैं| स्वामी जी के लिए मौन में रहना आवश्यक भी है और जरूरत भी| चाहे वो काम के लिए कहीं जा रहे हों यां फिर आश्रम में हों स्वामी जी मौन में ही उनसे बातचीत करने को कहते हैं | यह अपने में एक अद्भुत अनुभव है|
स्वामी जी द्वारा मौन में परामर्श सेशन
मन को स्वस्थ और परामर्श देते समय स्वामी जी मौन में बातचीत का इस्तेमाल भी करते हैं| स्पर्श तथा दृष्टि भी उपचार का सशक्त माध्यम हो सकता है| चाहे भय हो यां दर्द दुःख हो यां खुशी सब कुछ इस तरह से अभिव्यक्त किया जा सकता है| इस अनुभव के बाद लोग अपने को बहुत हल्का महसूस करते हैं जैसे कंधों से एक बड़ा बोझ उतर गया हो|