सहजो बाई
आए जगत में क्या किया तन पाला के पेट
आए जगत में क्या किया तन पाला के पेट |
आए जगत में क्या किया तन पाला के पेट |
सहजो दिन धंधे गया रैन गई सुख लेट ||
(संत सहजो बाई जी कहती हैं कि जगत में जन्म तो ले लिया परन्तु किया क्या ? तन को पाला या खा-खा कर पेट को बढाया | दिन तो संसार के कार्यों में गँवा दिया और रात सो कर गँवा दी )
रैणि गवाई सोइ कै दिवसु गवाइआ खाइ ॥
हीरे जैसा जनमु है कउडी बदले जाइ ॥१॥(Gurbani-156)
(श्री गुरु नानक देव जी कहते हैं कि रात सो कर गँवा दी और दिन खा कर गँवा दिया | हीरे जैसे जन्म को अर्थात्त तन को कौड़ी के भाव गँवा दिया )
इस जगत में मनुष्य की यह स्थिति है कि उसने शरीर को तो जान लिया परन्तु जीवन को भूल गया | यह अहसास नहीं है कि जीवन क्या है ? आज हम जिसे जीवन कहते हैं,वह तो पल प्रतिपल मृत्यु की और बढ रहा है | परन्तु यह 30-40 वर्ष का जीवन,जीवन नहीं है | हम अपना जन्म दिन मनाते है,हम इतने बड़े हो गए | हमारी आयु बढ़ी नहीं , यह तो हमारे जीवन में से 30-40 वर्ष कम हो गए है,हम मृत्यु के निकट पहुँच रहे हैं | हमें विचार करना चाहिए के हम ने इतने वर्षों में क्या किया,क्या हम ने अपने जीवन के लकश को जाना |