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शब्द मत छोड़ियो रे – Shabd Mat Chodiyo Re Kabir Ke Shabd

Shabd mat chodiyo re kabir ke shabd

Kabir Ke Shabd

शब्द मत छोड़ियो रे, शब्द है तत्वसार।।
दाहिने हाथ को शब्द सुनो, और चढजा ऊंची धार।
शब्द विवेकी साधु उतरे, भँव सागर से पार।।
बिना शब्द के साधु फिरते, मुर्ख मूढ़ गंवार।
शब्द विवेकी साधु के , पाँव पूजो बारम्बार।।
शब्द से पौथी पुस्तक रचिया, वेद रचे हैं चार।
बिना शब्द के कुछ भी नाही, देखो सोच विचार।।
गुरू ताराचंद था भोला भाला, शब्द बिना लाचार।
सद्गुरु रामसिंह पूरे मिलगे, खोल दिये भंडार।।
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