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सतगुरु म्हारे ने दीन्ही है ज्ञान जड़ी

kabir

Kabir ke Shabd

सतगुरु म्हारे ने दीन्ही है ज्ञान जड़ी।।
याहे जड़ी मोहे प्यारी भी लागै जी।
अमृत रस की भरी।।
काया नगर में अधर एक बंगला जी।
ताते में गुप्त धरी।।
पांच नाग पचीस नागनी जी।
सूंघत तुरत मरी।।
इस काली ने सब जग खाया जी।
सद्गुरु देख डरी।।
कह कबीर सुनो भई साधो जी।
ले परिवार तरी।।
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