Kabir ke Shabd
सारे तीर्थ धाम आपके चरणों में।
हे गुरुदेव प्रणाम, आपके चरणों में।।
हृदय में महा गौरी लक्ष्मी, कण्ठ शारदा माता है।
जो भी मुख से वचन कहे, वो वचन सिद्ध हो जाता है।
हे गुरु ब्रह्मा हे विष्णु, हे शंकर भगवान आपके।।
जन्म के दाता मातपिता हैं, आप कर्म के दाता हैं।
आप मिलाते हैं ईश्वर से, आप ही भाग्य विधाता हैं।
दुखिया तन को रोतीन को, मिलता है आराम।।
निर्बल को बलवान बनादे, मुर्ख को गुणवान पृभु।
अपने दुर्बल सेवक को भी, ज्ञान का दो वरदान पृभु।
हे महा दानी हे महा ज्ञानी, रहूँ मैं सुबह और शाम।।