Kabir ke Shabd
रे हँसा भाई, होजा नै नाम दीवाना।।
हर पल सुमरण करो नाम का, गुरू चरणों चित्त लाना।
एक आश विश्वास गुरू का, हर दम धरले ध्याना।।
ध्यान धरो अधर आंगन में, जगत बहुत बिसराना।
मनसा वाचा कर्म साथ ले, पावै पद निर्वाणा।।
नाम नैया चढकै ना उतरै, हरदम रहे मस्ताना।
पाँच तत्व का संग त्याग दे, छोड़ भर्म भरमाना।।
शील सत्त क्षमा ढाल साथ ले, जीतो जंग मैदाना।
आपै अंतर आप बैठ के, निशदिन रहो हरसाना।।
सद्गुरु ताराचंद समझावै कंवर ने, कर किया बोराना।
नाम अमरफल कल्प तरु है, सहज ही नाम कमाना।।