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रामनवमी

रामनवमी

चैत्र मास में शुक्ल की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में कोशल्या की कोख से पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। भारतीय जन-जीवन में यह पर्व एक बहुत ही महान पर्व के रूप में मनाया जाता हे। इस  दिन पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य का लाभ कमाते नवमी की रात्रि को रामचरित मानस का पाठ करना तथा सुनना चाहिए। अगले दिन भगवान राम का विधि पूर्वक पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही उन्हें सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा देनी चाहिए।

रामनवमी

इस ब्रत को करके हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र के आदशों को सहदय अपनाना चाहिए। भगवान राम की गुरु सेवा, जाति-पाँति का भेदभाव मिटाना, शरणागत की रक्षा, भ्रातृ-प्रेम, मातृ-पितृ-भकति, एक पली ब्रत, पवनसुत हनुमान तथा अंगद की स्वामिभक्ति, गिद्धराज की कर्तव्यनिष्ठ तथा केवट आदि के चरित्रों की महानता को अपनाना चाहिए।

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