अमर सूक्तियाँ |
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संसार के अनेकों महापुरुषों ने अनेक महावचन कहे हैं. कुछ मैं प्रस्तुत कर रहा हूँ. जो जैसा चाहे वैसे प्रयोग कर ले. |
महापुरुषों |
अच्छा अंतःकरण सर्वोत्तम ईश्वर है। |
टामस फुलर |
अंतर्ज्ञान दर्शन की एक मात्र कसौटी है। |
शिवानंद |
मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। |
बृहदारण्यक उपनिषद् |
अग्नि स्वर्ण को परखती है, संकट वीर पुरुषों को। |
अज्ञात |
अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं। |
प्यूब्लियस साइरस |
अज्ञान से बढ़कर कोई अंधकार नहीं है। |
शेक्सपियर |
अज्ञानी का संग नहीं करना चाहिए। |
आचारांग |
अति से अमृत भी विष बन जाता है। |
लोकोक्ति |
सभी वस्तुओं की अति दोष उत्पन्न करती है। |
भवभूति |
अधिक खाने से मनुष्य श्मशान जाता है। |
लोकोक्ति |
अतिथि का अतिथ्य करना श्रेष्ठ धर्म है। |
अश्वघोष |
अतिथि सबके आदर का पात्र होता है। |
अज्ञात |
दरिद्रों में दरिद्र वो है जो अतिथि का सत्कार न करे। |
तिरुवल्लुवर |
अत्याचार सदा ही दुर्बलता है। |
जेम्स रसेल लावेल |
अधिक का अधिक फल होता है। |
अज्ञात |
अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता। |
रवीन्द्रनाथ ठाकुर |
अधिकार केवल एक है और वह है सेवा का अधिकार, कर्तव्य पालन का अधिकार। |
संपूर्णानंद |
अध्ययन उल्लास का और योग्यता का कारण बनता है। |
बेकन |
अध्ययन आनंद, अलंकार तथा योग्यता के लिए उपयोगी है। |
बेकन |
अनंत जीवन का एकमात्र पाथेय है धर्म। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
अनुभव को खरीदने की तुलना में उसे दूसरों से माँग लेना अधिक अच्छा है। |
चार्ल्स कैलब काल्टन |
बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है। |
स्वामी विवेकानंद |
अनुशासन परिष्कार की अग्नि है, जिससे प्रतिभा योग्यता बन जाती है। |
अज्ञात |
अभय ही ब्रह्म है। |
बृहदारण्यक उपनिषद् |
अभावों में अभाव है–बुद्धि का अभाव। दूसरे अभावों को संसार अभाव नहीं मानता। |
तिरुवल्लुवर |
अभिमान को जीत से नम्रता जाग्रत् होती है। |
महावीर स्वामी |
शुभार्थियों को अभिमान नहीं होता। |
कल्हण |
अभिमान करना अज्ञानी का लक्षण है। |
सूत्रकृतांग |
बिना जाने हठ पूर्वक कार्य करनेवाला अभिमानी विनाश को प्राप्त होता है। |
सोमदेव |
कोई ऐसी वस्तु नहीं, है जो अभ्यास करने पर भी दुष्कर हो। |
बोधिचर्यावतार |
सच्चा अर्थशास्त्र तो न्याय बुद्धि पर आधारित अर्थशास्त्र है। |
महात्मा गाँधी |
अवगुण नाव की पेंदी के छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा, एक दिन उसे डुबो देगा। |
कालिदास |
पराय धन का अपरहण, परस्त्री के साथ संसर्ग, सुहृदों पर अति शंका– ये तीन दोष विनाशकारी हैं। |
वाल्मीकि |
जो अवसर को समय पर पकड़ ले, वही सफल होता है। |
गेटे |
अवसर उनकी मदद कभी नहीं करता जो अपनी मदद स्वयं नहीं करते। |
कहावत |
‘असंभव’ एक शब्द है, जो मूर्खो के शब्दकोश में पाया जाता है। |
नेपोलियन |
असमय किया हुआ कार्य न किया हुआ जैसा ही है। |
अज्ञात |
अहंकार छोड़े बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता। |
स्वामी विवेकानंद |
तलवार मारे एक बार, अहसान मारे बार–बार। |
लोकोक्ति |
अहिंसा परम श्रेष्ठ मानव–धर्म है, पशु–बल से वह अनंत गुना महान् और उच्च है। |
महात्मा गाँधी |
अकेली आँख ही बता सकती है कि हृदय में प्रेम है अथवा घृणा। |
तिरुवल्लुवर |
जो औरों के लिए रोते है, उनके आँसू भी हीरों की चमक को हरा देते हैं। |
रांगेय राघव |
स्वयं पर आग्रह करो, अनुकरण मत करो। |
एमर्सन |
छोटी नदियाँ शोर करती हैं और बड़ी नदियाँ शांत चुपचाप बहती हैं। |
सुत्तनिपात |
आचरण दर्पण के समान है, जिसमें हर मनुष्य अपना प्रतिबिंब दिखाता है। |
गेटे |
आत्मविश्वास सफलता का प्रथम रहस्य है। |
एमर्सन |
आत्मसम्मान रखना सफलता की सीढ़ी पर पग रखना है। |
अज्ञात |
यह आत्मा ब्रह्म है। |
बृहदारण्यकोपनिषद् |
मनुष्य की आत्मा उसके भाग्य से अधिक बड़ी होती है। |
अरविंद |
आत्मिक शक्ति ही वास्तविकता शक्ति है। |
शिवानंद |
आदर्श कभी नहीं मरते। |
भागिनी निवेदिता |
आनंद का मूल है–संतोष। |
मनुस्मृति |
आनंद वह खुशी है जिसके भोगनें पर पछतावा नहीं होता। |
सुकरात |
पढ़कर आनंद के अतिरेक से आँखें यदि नीली न हो जाएँ तो वह कहानी कैसी ? |
शरत्चंद्र |
आपदा एक ऐसी वस्तु है जो हमें अपने जीवन की गहराइयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। |
विवेकानंद |
नारी का आभूषण शील और लज्जा है। बाह्य आभूषण उसकी शोभा नहीं बढा सकते हैं। |
बृहत्कल्पभाष्य |
विद्वित्ता, चतुराई और बुद्धिमानी की बात यही है कि मनुष्य अपनी आय से कम व्यय करे। |
अज्ञात |
आरोग्य परम लाभ है, संतोष परम धन है, विश्वास परम बंधु है, निर्वाण परम सुख है। |
धम्मपद |
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रधान कारण आरोग्य है। |
चरक संहिता |
आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला घोर शत्रु है। |
भर्तृहरि |
आलस्य दरिद्रता का मूल है। |
यजुर्वेद |
आवश्यकता अविष्कार की जननी है। |
लोकोक्ति |
आवश्यकता से अधिक बोलना व्यर्थ है। |
तुकाराम |
असीम आवश्यकता नहीं, तृष्णा होती है। |
जैनेंद्र |
आविष्कार से आविष्कार का जन्म होता है। |
एमर्सन |
आशा और आत्मविश्वास ही वे वस्तुएँ हैं जो हमारी शक्तियों को जाग्रत करती हैं। |
स्वेट मार्डेन |
प्रयत्नशील मनुष्य के लिए सदा आशा है। |
गेटे |
विषयों के प्रति आसक्ति मोह उतपन्न करती है। |
भारवि |