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प्रारब्ध पहले रचा , पीछे रचा शरीर || दोहे || Kabir Ke Dohe

प्रारब्ध पहले रचा , पीछे रचा शरीर
guruji

प्रारब्ध पहले रचा , पीछे रचा शरीर।
तुलसी चिंता क्यों करे, भज ले श्री रघुबीर।।

मुर्दे को हड़ी देत है, लकड़ी कपड़ो आग।
जीवित न्र चिंता करे, उनका बड़ा अभाग।।

धान नहीं धीणो नहीं, नहीं रुपयों रोक।
जीमन बैठे रामदास, आन मिले सब थोक।।
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