गरीबों की दुनियाँ
सेज पुष्प की दुःख भरी, इससे हो हुशियार।
अन्त समय तुम्हें देखनी पड़ेगी, यम की मार॥
प्राचीन समय में भारतवर्ष में कोई राजा था। वह प्रतिदिन फूलों के बिस्तर पर सोता था। इस काम के लिए उसने तरह-तरह के फूलों के बाग लगा रखे थे। राजा के बगीचों से हजारों तरह के फूल चुनकर माली गण राजा की सेज के लिए महल में पहुँचाया करते थे। उस राजा की एक विशेष बांदी थी । उसका काम मालियों द्वारा भेजे गये फूलों से राजा की सेज को सजाना था।
एक दिन उस बांदी के मन में यह विचार आया कि आज मैं भी इन फूलों की सेज पर सोकर देखें कि कैसा आनन्द आता है। मन में यह विचार आते ही बांदी के ह्दय में गुदगुदी सी होने लगी और वह झट से फूलों की सेज पर लेट गयी। फूल की सेज पर लेटते ही बांदी को नींद आ गयी। फूलों की भीनी-भीनी सुगन्ध में बादी अपने आपको ही भूल गईं।
अर्ध रात्रि होने पर राजा महल में सोने के लिए आये तो उन्होंने अपनी शैया पर बाँदी को सोते हुए देखा। राजा का चेहरा क्रोध से लाल हो गया और बांदी को चोटी से पकड़ कर पलंग से नीचे गिरा दिया तथा बांदी को हन्टर लाने का आदेश दिया। बाँदी ने हंटर लाकर राजा को दे दिया। राजा हन्टर को बाँदी पर बरसाने लगा।
हन्टर की मार से बाँदी का शरीर घायल हो गया और रक्त बहने लगा परन्तु बादी की आँखों से न तो आँसू बहे , और न वह चीखी चिल्लाई अपितु वह प्रत्येक हन्टर के पड़ने पर वह इस प्रकार हँसती थी जैसे कोई सौदाई और दीवाना हँस रहा हो। बाँदी को इस प्रकार हँसते देखकर राजा को बड़ा आश्चर्य हो रहा था। राजा ने बाँदी से हँसने का कारण पूछा। यदि तूने हँसने का ठीक-ठीक कारण नहीं बताया तो आज मेरे हाथों से तेरी मृत्यु निश्चित है।
बाँदी ने हाथ जोड़कर उत्तर दिया- हे महाराज! मुझ से आज बड़ी भारी भूल हो गई है, परन्तु वास्तव में हे राजन यह मेरी भूल नहीं अपितु भूल तो इन फूलों की सेज की है। क्योंकि मैं जरा सी देर के लिए इस सेज पर सो गई। जरा सी देर सोने में ही इस सेज ने मेरी यह दशा कर दी कि मेरी चमड़ी ही उधड़कर रह गई। जो प्रतिदिन इस सेज पर सोता हि है, उसकी न जाने क्या दशा होगी?
राजा बादी की बात सुनकर चुप रह गये। बांदी ने फिर कहा–हे राजन! में तो आज चन्द हंटर खाकर बहुत सस्ते में छूट रही हू परन्तु बार बार मेरे मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि रोज इस सेज पर सोने वाले की न जाने क्या दशा बनेगी?
राजा को उसी क्षण ज्ञान हो गया और उसने बादी से क्षमा मागकर फूलों के सेज पर न सोने की प्रतिज्ञा की और भगवान की भक्ति में लीन हो गये।
भाइयों ! यही दशा आजकल उन सरमायेदारों की है जो गरीबों को आये दिन अपने धन रूपी हंटर से खाल उधेड़ रहे हैं।एक दिन ऐसा समय आयेगा कि उन्हें भी कोई ज्ञान देने वाली बादी मिलेगी, जिससे वे ज्ञान प्राप्त करके निर्धनों की तन, मन, धन से सहायता कर यश के भागी बनेंगे।