Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
पिंजरा तोड़ चला जागा भाई दुनिया खड़ी लखावै।
कट्ठा कर लिया माल खजाना, करके लूट औऱ बेईमाना।
सब यहीं छोड़ चला जागा।।
क्यों करता तुं मेरा मेरा, क्या है जग में बन्दे तेरा।
कफ़न बस ओढ़ चला जागा।।
तुझको चिता बीच में लिटा कै,तेरे तन में आग लगा कै।
हर कोए छोड़ चला जागा।।