Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
पैसे की पहचान यहां, इंसान की कीमत कोई नहीं।
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहीं।।
बीवी बहन माँ बेटी न कोई पैसे का सब रिश्ता है।
आँख का आँसू खुन जिगर का मिटटी से भी सस्ता है।
मिटटी से भी सस्ता है।।
सब का तेरी जेब से नाता तेरी ज़ुरूरत कोई नही।
शोख गुनाहो की ये मंडी मीठा ज़हर जवानी है।
कहते है ईमान जिसे वो कुछ नोटों की कहानी है।
भूख है मज़हब इस दुनिया का और हक़ीक़त कोई नहीं।।
ज़िन्दगी क्या है चीज़ यहाँ मत पुछ आँख भर आती है।
रात में कराती ब्याह काली वो बेवा सुबह हो जाती है।
औरत बन कर इस कुचे में रहती औरत कोई नहीं।
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहीं।।