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नमो नमो निरंजन स्वामी – namo namo niranjan swami Kabir ji ke shabd

Kabir Bijak
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

नमो निरंजन नमो निरंजन-२ स्वामी।
सदा विराजो मेरे उर में, अवगत अन्तर्यामी।।

निरंकार निर्लेप निरंतर, निर्गुण सर्गुण नामी
चिदानंद चैतन्य चहुदिश,परम् गुरु परनामी।।

सर्वांगी सम्पूर्ण सब घट, सन्त रूप सुख धामी।
जगन्नाथ जगपती जगजीवन, तुंही कृष्ण, तुंही रामी

व्यापक विष्णु विश्व बहुरंगी, व्याप रहे सब ठामी।
अगम अपार अधर अविनाशी, अटल पुरूष वर्यामी।।

मन मोहन मन हरण मनोहर, गुप्त गरुड़ के गामी।
गुणातीत गोविंद गोसाईं, निर्मल नित नेह कामी।।

तेजपुंज पारश परमेश्वर, तूँ महबूब गुमानी।
नित्यानन्द झड़ लगी मेहर की, हो रही आहमी साहमी।।
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