प्रेम के पीछे है धन और सफलता
एक औरत ने तीन संतों को घर के सामने देखा और उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। संत बोले, ‘हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते। मेरा नाम ‘धन’ है। इन दोनों के नाम ‘सफलता’ और ‘प्रेम’ हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।’ औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बात बताई। पति प्रसन्न होकर बोला, ‘यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए।’
औरत बोली, ‘मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।’ उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली, ‘हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं है।’ औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा ‘आपमें से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन ग्रहण करें।’ प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे। औरत ने दोनों से पूछा, ‘मैंने तो केवल प्रेम को आमंत्रित किया था?’ उनमें से एक ने कहा, ‘यदि आपने हममें से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही जाता। लेकिन आपने प्रेम को बुलाया। प्रेम जहां जाता है, धन और सफलता उसके पीछे-पीछे जाते हैं।’
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है-प्रयाप्त हे।*