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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरा दर्द ना जाने कोए,हे री मै तो प्रेम दीवानी जी।
सूली ऊपर सेज हमारी,किस विध सोना होए।
गगन मण्डल में सेज पिया की,किस विध मिलनाहोए
घायल की गति घायल जाने,जो कोए घायल होए।
जोहरी की गति जोहरी जाने,जो कोए जोहरी होए।।
दर्द की मारी बन बन डालूं,वैध मिला ना कोए।
मीरा की जब पीर मिटेगी,वैध सांवरियां होए।।