Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मनै न्यू जोड़ी थी माया, चालेगी मेरी गैल।
तीज त्योहार ने बच्चों खातिर, मीठा तक भी लाया ना।।
घर की त्रिया लड़ लड़ मरगी, कपड़ा तलक सिलाया ना।
घर में जब भी आए बटेऊ, टोहे तैं भी पाया ना।।
दान पुण्य में दिया ना पैसा, दीया तलक जलाया ना।
अंधेरे में रोटी खाई, कदे ना लाया तेल।।
कदे भाई बन्ध ने दिया ना पैसा, सबसे पहले नाट गया।
पार बसाई तै भांजी मारी, सब तैं न्यारा पाट गया।।
तीर्थ करे ना व्रत करे मैं मन कपटी ने डाट गया।
गैल चलन तैं वा माया नाटी, सुन के हृदय पाट गया।।
तेरे में था प्रेम घणा, क्यूँ तोड़ के चाली मेल।
टूटे लित्तर पाटे वस्त्र, बहुत घणी पाग्या काली।।