कबीर दास शब्द
मैं तो हार गई मेरे राम ,धंधों करती-२घर्ड को।
उठ सवेरे पीसन लागी, रह्यो पहर को तड़को।
आग गेर पानी ने चाली,दे छोहरे को जर को।।
ससुर स्वभाव आकड़ो कहिये,बडब्डॉट को मड़को।
सास निपूती कह्यो ना माने,बैठी मार मचड़को।।
ननद हठीली हठ की पक्की,सहज बुरो देवर को।
पोस पोए के हुई नचिति,अब ले बैठी चरखो।।
चार पहर धंधे में बीते,नाम लियो न हर को।
कह कबीर सुनो भई साधो,चौरासी को धड़को।।