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मत रोकै काल हरामी, मनै देश गुरु के जाना – mat roke kaal harami mane desh guru ke jaana – Kabir ke shabd

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 


कबीर के शब्द

मत रोकै काल हरामी, मनै देश गुरु के जाना।।
गुरु दई नाम की बूटी, मेरे लहर प्रेम की उठी।
या देखी दुनिया झूठी, घुमुंगी देश दीवाना।।

सद्गुरु ने सैन दइ है, मनवा की डगर लहि है।
मेरी दुर्मति दूर गई है, जब लागा अटल निशाना।।

जबसे मैं उनसे बिछड़ी, हाँ तेरे कर्म में जकड़ी।
सद्गुरु दया से लिकडी, मैं आई थी करन स्नाना।।

गुरुआं का देश निराला, वहाँ हरदम रहे उजियारा।
वहाँ फिरै कुदरती माला,  झलकै नूर सुहाना।।

ये सूरत वहाँ से आवै, महा झीनी होय समावै।

बिछड़ा हुआ प्रीतम पावै, मिल जाता वो अटल ठिकाना।।

गुरु ताराचंद वहाँ बैठे, हम जा चरणों मे लेटे।
कह रूपचंद दुःख मेटे, यो पाया पद निर्वाणा।।

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