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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मनवा मान रे कही।
जग में जीवना दिन चार, काफिर ऐसा दाव नहीं।।
धन जोबन ने देख कै तूं नाचे थई-२।
तूँ काल के आगे न्यू उड़ जा, जणु तांत के आगे रुई।।
हाथी घोड़े पालकी, दाता नै तुझे दई।
आंख खोल के देख लिए, ये सिंह किसी के न गई।।
माया मिलगी जो मनै,खर्ची न खाई गई।
वो दाब जमीन में गया, वा काम किसे के न रही।।
इब तो मनवा मान जा, तनै बहुत सी कही।
कह कबीर सुनो भई साधो, ना डूबेगा मझ मयी।।