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मन को डाटले गुरु वचन पे, जम जालिम का मिटै खटका || man ko daatle guru vachan pe-kabir ke shabd ||

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 
कबीर के शब्द

मन को डाटले गुरु वचन पे, जम जालिम का मिटै खटका।।
आदत इसकी है भागन की, मानेगा नहीं ये हठ का।
जहां से हटावै वहीं जावैगा, पक्का है अपनी हठ का।।

इतना समझाओ एक न मानै, फिरता है भटका-२।
ज्ञानी योगी पैगम्बर मारे, काम क्रोध का दे झटका।
बिना बात नित भरै उडारी,एक ठौर पे नहीं डटता।
बुद्धि चित्त अहंकार सभी पे, हुक्म इसी का है चलता।।
नाम लगाम बिना नहीं रुकेगा, घाल लगाम बांध पटका।
सद्गुरु ताराचंद कह कंवर, क्यों फिरता भटका भटका।।
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