*आखिरी पड़ाव*
पहले युवक ने तेजी से पेड़ पर चढ़ना शुरू किया और देखते -देखते पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर पहुँच गया फिर उसने उतरना शुरू किया और जब वो लग भग आधा उतर आया तो बाबा बोले साव धान ज़रा संभल कर। …
आराम से उतरो क़ोइ जल्दबाजी नहीं….
युवक सावधानी पूर्वक नीचे उतर आया
इसी तरह बाकी के युवक भी पेड़ पर चढ़े और उतरे और हर बार बाबा ने आधा उतर आने के बाद ही उन्हें सावधान रहने को कहा यह बात युवकों को कुछ अजीब लगी और उन्ही में से एक ने पुछा बाबा हमें आपकी एक बात समझ में नहीं आई पेड़ का सबसे कठिन हिस्सा तो एकदम ऊपर वाला था जहाँ पे चढ़ना और उतरना दोनों ही बहुत कठिन था आपने तब हमें सावधान होने के लिए नहीं कहा पर जब हम पेड़ का आधा हिस्सा उतर आये और बाकी हिस्सा उतरना बिलकुल आसान था तभी आपने हमें सावधान होने के निर्देश क्यों दिए बाबा गंभीर होते हुए बोले बेटे !
यह तो हम सब जानते हैं कि ऊपर का हिस्सा सबसे कठिन होता है इसलिए वहां पर हम सब खुद ही सतर्क हो जाते हैं और पूरी सावधानी बरतते हैं. लेकिन जब हम अपने लक्ष्य के समीप पहुँचने लगते हैं तो वह हमें बहुत ही सरल लगने लगता है….
हम जोश में होते हैं और अति आत्मविश्वास से भर जाते। हैं। और इसी समय सबसे अधिक गलती होने की सम्भावना होती है यही कारण है कि मैंने तुम लोगों को आधा पेड़ उतर आने के बाद सावधान किया ताकि तुम अपनी मंजिल के निकट आकर कोई गलती न कर बैठो युवक बाबा की बात समझ गए,आज उन्हें एक बहुत बड़ी सीख मिल चुकी थी
इसलिए लक्ष्य के आखिरी पड़ाव पर पहुँच कर भी किसी तरह की असावधानी मत बरतिए और लक्ष्य प्राप्त कर के ही दम लीजिये।।