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सफलता के लिये श्रद्धा के साथ श्रम भी चाहिये-Labor is also needed with reverence for success

सफलता के लिये श्रद्धा के साथ श्रम भी चाहिये
एक ग्रामीण बैलगाडी लिये कहीं जा रहा था। एक नाले के कीचड़ में उसकी गाडी के पहिये धँस गये। ग्रामीण बैलगाडी से उतर पडे और पास की भूमि पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा। वह एक पाठ करता और फिर प्रार्थना करता-हनुमान जी ! मेरी गाडी कीचड़ से निकाल दीजिये ! फिर पाठ करता और फिर प्रार्थना करता।
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Labour is also needed with reverence for success.
 ग्रामीण को श्रद्धा सच्ची थी। उसका पाठ-प्रार्थना का  क्रम पर्याप्त समय तक चलता रहा। अन्त में दर्शन दिया उसे । वे बोले – भले आदमी! देवता आलसी और निरुद्योगी की सहायता नहीं किया करते। मैं इस प्रकार लोगों के छकड़े निकाला करूँ तो संसार के लोग उद्योग हीन हो जायँ। देवी-सहायता पाने के लिये श्रद्धा के साथ श्रम भी चाहिये। तू वैलों को ललकार और कीचड़ मे उतरकर यूरी शक्ति से पहियों को ठेल। तब मेरा बल तुझमें प्रवेश करके तेरी सहायता करेगा । -सु० सिं०
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