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क्यूं सोया नींद भर्म की – Kyon soya neend barhm ki – Kabir ke shabd

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 


कबीर के शब्द

क्यूं सोया नींद भर्म की, कर चेत मुसाफिर उठ।
जितना था तेरा पूंजी पल्ला, लिया ठगां नै लूट।
ले के पूंजी खो दई सारी, गई हिय की फूट।

पांच पचीस दस चार महल के फिर लिए चारों कूट।
जागेगा जब पछतावैगा, भरी सब्र की घूंट।

सद्गुरु जगावे जाग दीवाने, पकड़ नाम की मूठ।
शब्द सिरोही मार ताण कै, जा किला भर्म का टूट।

गुरु रामसिंह आए तनै जगावै, मतना समझे झूठ।
ताराचंद सिर हाथ गुरु का,  यम भाजेगा रूठ।

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