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क्या लेके आया बन्दे, क्या लेके जाएगा-Kya leke aaya jagat mein Kabir ji Ke Shabd

kabir ke dohe bataiye
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

क्या लेके आया बन्दे, क्या लेके जाएगा।

दो दिन की जिंदगी है, दो दिन का मेला।।

इस जग की सराय में मुसाफिर, रहना दो दिन का।
जो व्यर्था करे गुमान, मूर्ख इस धन और जोबन का।।

बन्द मुट्ठी आया जग में, खाली हाथ जाएगा।
कट गया बलवान तीन बर, धरती तोलनिया।।

जाकी पड़ती धाक, नहीं कोई साहमी बोलनिया।
निर्भय डोलनिया वो तो गया रे अकेला।।

नहीं छेड़ सकै कोय माया, गिणी गिनाई रह।
गढ़ किलों की नींव छोडग्या, भरी भराई रे।
चिनी रे चिनाई रह गई, आप है अकेला।।
इस काया का बाग, भाग बिन पाया ना जाता।
कह शर्मा बिना नसीब तोड़ फल, खाया ना जाता।
भँवसागर से तर ले बन्दे, हरिगुण गाएले।।
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