![]() |
Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
कोए रोगी ले लो भाई, गुरु बाँटें वैद्ध दवाई।
अगम दिशा से चल कर आए, वस्तु बगल में ठाई।
आन सराय में डेरा ला लिया, धर दी या बंधी बंधाई।।
सब मानव की खातिर लाया, सबने खोल दिखाई।
राजा रंक वैरागी लेलो, घर घर बंटने आई।।
राजा रंक वैरागी लेलो, घर घर बंटने आई।।
मधु तला में नहा के लेलो, हो जागी सरदाई।
तीनों वस्तु गोते मारैं, दूर हटा दो पाई।।
तीनों वस्तु गोते मारैं, दूर हटा दो पाई।।
मोल मिले ना मांगी मिलती, उधारी तक ना पाई।
कह रविदास सिर सांटै लेलो, हो जागी सफल कमाई।।
कह रविदास सिर सांटै लेलो, हो जागी सफल कमाई।।