अन्य भाइयों द्वारा ऐसा दुस्साहस न कर पाने पर पिता के तपोबल से प्रभावित परशुराम ने उनकी आज्ञानुसार माता का शिरोच्छेद कर दिया। यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और परशुराम को वर मांगने के लिए कहा। तो उन्होंने दो वरदान माँगे-
माँ पुनर्जीवित हो जायँ,
उन्हें मरने की स्मृति न रहे,
और जमदग्नि ने उन्हें दोनो वरदान दे दिये। माता तो पुनः जीवित हो गई पर परशुराम पर मातृहत्या का पाप चढ़ गया।
मातृकुण्डिया – चितौड़ – राजस्थान (Matrikundiya – Chittorgarh – Rajasthan) :
राजस्थान के चितौड़ जिले में स्तिथ मातृकुण्डिया वह जगह है जहाँ परशुराम अपनी माँ की हत्या (वध) के पाप से मुक्त हुए थे। यहां पर उन्होंने शिव जी की तपस्या की थी और फिर शिवजी के कहे अनुसार मातृकुण्डिया के जल में स्नान करने से उनका पाप धूल गया था। इस जगह को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है। यह स्थान महर्षि जमदग्नी की तपोभूमि से लगभग 80 किलो मीटर दूर हैं।