जानिए गौतम बुद्ध की शिक्षा और उपदेश
बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व के करोड़ों लोग वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध जयंती मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं।
इसलिए हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान महावीर का निर्वाण दिवस भी होता है। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी।
गौतम बुद्ध ने कहा है कि जो मनुष्य दुख से पीड़ित है, उनके पास बहुत सारा हिस्सा ऐसे दुखों का है, जिन्हें मनुष्य ने अपने अज्ञान, ग़लत ज्ञान या मिथ्या दृष्टियों से पैदा कर लिया हैं उन दुखों का निराकरण सही ज्ञान द्वारा ही किया जा सकता है।
गौतम बुद्ध स्वयं कहीं प्रतिबद्ध नहीं हुए और न ही अपने शिष्यों को उन्होंने कहीं बांधा। उन्होंने कहा है कि मेरी बात को इसलिए चुपचाप न मानो उसे मैंने यानी बुद्ध ने कहा है। उस पर भी सन्देह करो और विविध परीक्षाओं द्वारा उसकी परीक्षा करो।
जीवन की कसौटी पर उन्हें परखो, अपने अनुभवों से मिलान करो, यदि तुम्हें सही जान पड़े तो स्वीकार करो, अन्यथा छोड़ दो। यही कारण था कि बौद्ध धर्म इस धर्म के मानने वाले अनुयाइयों को रहस्य से मुक्त, मानवीय संवेदनाओं को सीधे स्पर्श करता था।
भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की।
बौद्ध धर्म में ये है धम्म
जीवन की पवित्रता बनाए रखना। जीवन में पूर्णता प्राप्त करना। निर्वाण प्राप्त करना। तृष्णा का त्याग करना। यह मानना कि सभी संस्कार अनित्य है। कर्म को मानव के नैतिक संस्थान का आधार मानना गौतम बुद्ध के अनुसार धम्म है।
बौद्ध धर्म में ये है अ धम्म
परा-प्रकृति में विश्वास करना। आत्मा में विश्वास करना। कल्पना-आधारित विश्वास मानना। धर्म की पुस्तकों का वाचन करना बुद्ध के अनुसार अ धम्म माना यही गौतम बुद्ध के अनुसार अ धम्म है।
बुद्ध के अनुसार सद्धम्म
जो धम्म प्रज्ञा की वृद्धि करे। जो धम्म सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे। जो धम्म यह