करना हो सो करले साधो,ममानस जन्म दुहलो है।।
जप तप नेम व्रत और पूजा, ष्टदर्शन को मेलो है।
पार ब्रह्म को जानत नाही, भुला भर्म बहेलो है।।
कोय कह हरि बसै बैकुण्ठा, कोय कह गौ लोकों है
कोय कह शिव नगरी में साहिब, जुग जुग हाथ महेलो है।।
कोय कह शिव नगरी में साहिब, जुग जुग हाथ महेलो है।।
अनसमझ हरि दूर बतावै, समझदार कहेलो है।
सद्गुरु शरण अमोलक दीन्ही, वो हरदम हरि को गेलो है।।
सद्गुरु शरण अमोलक दीन्ही, वो हरदम हरि को गेलो है।।
दयाराम गुरु पूरा मिल गया, अजब जाप जपेलो है।
कह भानीनाथ सुनो भई साधो, म्हारे सद्गुरु जी को हेलो है।।
कह भानीनाथ सुनो भई साधो, म्हारे सद्गुरु जी को हेलो है।।