कजरी तीज
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती हे। यह तीज खासतौर से बनारस और मिर्जापुर जिले में एक विशेष उत्सव के रूप में मनाई जाती है। कजरी तीज प्रतिट्न्द्विता भी होती है। प्राय: लोग नावों पर चढ़कर कजरी गीत गाते हैं यह वर्षाऋतु का एक विशेष राग हे। त्रज के मल्हारों की भांति मिर्जापुर तथा बनारस का यह प्रमुख वर्षागान माना जाता है। वैसे तो यह समस्त भारतवर्ष में सभी लोग मनाते हैं और इस दिन लोग झूला डालकर झूलते भी हैं ओर घरों में तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। ग्रामीण भाषा में इसे ‘तीजा’ भी कहते हैं। हिंडोले झूले पर मचलती हुई बहुएं और ग्रामीण ब्रालिकाएं इस खिरह गीत (कजरी) को गा-गाकर एक अपूर्ब उत्कंठा मन में भर देती हैं। यर्षाकतु में यह गीत पपीहा, बादलों तथा पुरवा हवाओं की झकझोर में बहुत प्रिय लगता है। ‘