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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
बोल कहाँ घर तेरा पगले बोल ।
कौन है तूँ कहाँ से आया, लगा रहा तूँ फेरा।
जाएगा जब इस दुनिया से, होगा कहाँ बसेरा।।
आत्मरूप प्रकाशित तूँ, परमधाम घर तेरा।
हुआ भर्म अज्ञान से तुझको, लगा इसी में फेरा।
हुआ भर्म अज्ञान से तुझको, लगा इसी में फेरा।
सत्यपुरुष का नाम ही प्यारे, है सच्चा धन तेरा।
भेद न जाना आज है उसका, हो चौरासी डेरा।।
भेद न जाना आज है उसका, हो चौरासी डेरा।।
अंदर है आनन्द अनूप, शब्द ब्रह्म जग तेरा।
बाह्य कर्म से ज्ञान न होगा, सद्गुरु बिना अंधेरा।।