Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
ये निर्गुण की चर्चा है, मूर्ख समझै उल्टा जाल।
अम्बर में एक पौधा बड़ का,झूम रहा निर्गुण का लड़का।
इसका अर्थ बतादे खुड़का, गावैं हैं बेताल।।
निरंकार को किसने जाया, शंकर किसने गोद खिलाया।
किसकी पुत्री कहिये माया,किसका पुत्र है काल।।
पाँच तत्व बिन भवन कौन है, अग्नि पवन जल धर्म कौन है।
इन पांचों का पिता कौन है, कह दे इसका हाल।।
इन पांचों का पिता कौन है, कह दे इसका हाल।।
जिय तेरे नहीं खबर जरा सी, गुरू अपने से करो तलाशी।
शंकरदास के मारै गासी, कोय समझै हरि का लाल।।